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Friday, March 11, 2011

मैथिली एकटा सम्रद्ध भाषा अछि

बिहार विधान परिषद मॆ मैथली भाषा कॊ मान्यता दॆवाक प्रस्ताव वर्ष 1939 मॆ अनल गॆल छल! 6 अक्टुबर 1939 क ग‍ंगा नंद सिंह ई प्रस्ताव अननॆ रहाईथ जॆ बिहार संस्क्रत एशॊसिएशन संस्क्रत भाषा परीक्षा मैथली मॆ लॆल जाय! हुनक तर्क छल कि वर्ष 1934 मॆ संस्क्रत सम्मॆलन मॆ हरिशचंन्द्र झा कॆ प्रस्ताव पर एकटा समिति गठित भॆल छल इ समिति मैथली भाषा कॆ मैथली भाषा कॆ मान्यता दॆवाक विचार पर निर्णाय कॆनॆ छल! 1937 तक अहि संबंध मॆ कॊनॊ निर्णय नहि भॆल आ समिति कॆ कार्यकाल सॆहॊ समाप्त भ गॆल! पुन: 1937 मॆ दॊसर समिति बनल ! समिति 20 जनवरि 1938 क अपन प्रस्ताव दॆलक! गंगानंद सिंह अहि समिति कॆ रिपॊर्ट प्रस्ताव कॆ रुप मॆ रखला आऒर कहलेन राज्य मॆ मैथली कॆ वॆह स्थिति हॆवाक चाहि जॆ बंगला आ हिंदी कॆ छै! हुनक तर्क छलैन जॆ वर्ष 1938 मॆ संस्क्रत पढै वला कुल छात्र 2900 मैथिल भाषी छलैथ आऒर 4715 नन मैथिल! 1935 मॆ मैथिल छात्र कॆ संख्या 3090 आऒर 4832 नन मैथिल, 1936 मॆ 3115 मैथिल आ गैर मैथिल कॆ संख्या 4380, 1937 मॆ 4500 मैथिल व 6104 नन मैथिल, 1938 मॆ 5300 मैथिल व 7363 गैर मैथिल छात्र छल! ऒ कहलैथ मैथिल छात्र हिंदी ही नही संस्क्रत भी पढतॆ है! इसिलिए उन्हॆ मैथिली भाषा मॆ अपनी परीक्षा दॆनी चाहिए! ऒ कहलखिन जॆ सरकार कॆ अधिकारि कॆ नजर मॆ मैथली एकटा बॊली मात्र अछि जहैन कि हुनका अहि भाषा कॆ विषय मॆ बहुत अल्प जानकारि छैन! ऒ कहलैथ जॆ मैथली भाषा गुजराति, बंगाली आ असमी कॆ तरह एकटा पुर्ण भाषा अछि! एकर अपन एकटा स्वतंत्र संस्क्रति आ परंपरा अछि! वैदिक भाषा मॆ मैथिली कॆ उद्दगम दक्षिणायत स अछि जहैन कि हिंदि कॆ मध्य स ! ऒ कहलाईथ जॆ मिथिला राज्य कई सदियॊ सॆ एक स्वतंत्र प्रांत कॆ रुप मॆ रहा है जिसकी काम काज मैथिली आ संस्क्रत भाषा मॆ हॊती थी! मैथिली का अपना एक अलग लिपि भी है! ई एकटा सम्रद्ध भाषा अछि जकरा एकर अधिकार स वंचित नहि राखि सकैत छि!

साभार प्रभात खबर‌

Thursday, March 3, 2011

280 लाख करोड़ का सवाल


280 लाख करोड़ का सवाल
है ...भारतीय गरीब है लेकिन भारत
देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये
कहना है स्विस बैंक केडाइरेक्टर
का . स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने
यह भी कहा है कि भारत का लगभग
280 लाख करोड़ रुपये
(280 ,00 ,000 ,000 ,000)
उनके स्विस बैंक में जमा है . ये
रकमइतनी है कि भारत का आने वाले
30 सालों का बजट बिना टैक्स के
बनाया जा सकता है.या यूँ कहें
कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए
जा सकते है. या यूँ भी कह सकते
हैकि भारत के किसी भी गाँव से
दिल्ली तक 4 लेन रोड
बनाया जा सकता है. ऐसा भी कहसकते
है कि 500 से ज्यादा सामाजिक
प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते
है . ये रकमइतनी ज्यादा है कि अगर
हर भारतीय को 2000 रुपये हर
महीने भी दिए जाये तो 60साल तक
ख़त्म ना हो. यानी भारत
को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने
कि कोई जरुरतनहीं है .
जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट
राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे
देश कोलूटा है और ये लूट
का सिलसिला अभी तक 2011 तक
जारी है. इस सिलसिले को अब
रोकनाबहुत
ज्यादा जरूरी हो गया है.
अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब
200 सालो तक राजकरके करीब 1
लाखकरोड़ रुपये लूटा. मगर
आजादी के केवल 64 सालों में
हमारे भ्रस्टाचार ने 280लाख
करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल
में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ
केवल 64सालों में 280 लाख
करोड़ है. यानि हर साल लगभग
4.37 लाख करोड़, या हर
महीनेकरीब 36 हजार करोड़
भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में
इन भ्रष्ट
लोगों द्वारा जमाकरवाई गई है .
भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन
की कोई दरकार नहीं है .
सोचो कीकितना पैसा हमारे भ्रष्ट
राजनेताओं और उच्च
अधिकारीयों ने ब्लाक करके
रखा हुआहै . हमे भ्रस्ट
राजनेताओं और भ्रष्ट
अधिकारीयों के खिलाफ जाने
का पूर्ण अधिकारहै .हाल ही में
हुवे घोटालों का आप
सभी को पता ही है - CWG घोटाला,
२ जीस्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श
होउसिंग घोटाला ... और ना जाने
कौन कौन से घोटालेअभी उजागर
होने वाले है
एक आन्दोलन बन जाये भ्रष्टाचार
पर एन विट्ठल , किरण बेदी, एपीजे
अब्दुल कलाम की रायएनविट्ठल
( पूर्व केंद्रीय
सतर्कता आयुक्त) : भ्रष्टाचार
समाज में कैंसर कीतरह है और इससे
देश को व्यापक नुकसान हो रहा है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ
आमनागरिकों में रोष भी है।
सभी इसके बारे में चर्चा करते
हैं , लेकिन कोई कुछकरने
की स्थिति में नहीं है।किरण
बेदी (पूर्व आईपीएस अधिकारी):
भारतमें सफेदपोश
अपराधी ही भ्रष्टाचार में लिप्त
हैं। जितना बड़ा अपराध
औरअपराधी होता है उसके बचने
की संभावना भी उतनी ही ज्यादा होती है।
एपीजेअब्दुल कलाम (पूर्व
राष्ट्रपति): भ्रष्टाचार कैंसर
की तरह देश को निगल रहाहै और अब
इसकी तत्काल कीमोथेरेपी किए
जाने की आवश्यकता है।
भ्रष्टाचारमुक्त भारत बनाना आज
सबसे बड़ी चुनौती है और इसके लिए
युवाओं को आगे आनाहोगा।